कौन अपना है कौन पराया है।
इस बात का अंदाजा कैसे लगाया जाय।
किसकी को समझाने के चाह में हम बुरे हो जाते,
घर के इस बदलते हालात को कैसे अपनाया जाय।।
जिससे उम्मीद करो वो खरा नही उतरता इस दौर में।
गैर समझ जाते है अपनो को कैसे समझाया जाय।।
बात निकल कर बहुत दूर तलक जा पहुँचती है।
जिसको बताना चाहे उसे फिर कैसे बताया जाय।।
आदमी में कई रूप है इस बहुरंगी दुनिया में
चेहरे पर कई नक़ाब है इसे कैसे पहचाना जाय।।
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