जिस दिन से पूरे देश में लॉकडाउन घोषित हुआ उसी दिन से सभी लोग अपने -अपने घरों में रहकर अपना समय काट रहे हैं। हो भी क्यो न केवल एक देश व क्षेत्र इस महामारी से परेशान नही है वहीं दूसरी ओर ऐसे कई गरीब बेसहारा परिवार शहर में निवास करते हैं जो रोज मेहनत मजदूरी कर अपना जीविका चलाते थे और अपने परिवार का पालन करते हैं, लेकिन इन दिनों लॉकडाउन के चलते यह लोग भी घरों में छुप कर बैठे हैं। अब इन परिवारों के पास खाने पीने का इंतजाम खत्म हो चला है। कई लोग दिहाड़ी मजदूरी पर आश्रित है मतलब रोज कामना रोज खाना इस आधार पर कई लोग स बात से चिंतित हैं, लेकिन कोरोना वायरस की इस आपदा में शासन प्रशासन का सहयोग करने के लिए शहर के समाज सेवी संगठन आने लगे हैं। नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में भी प्रशासन के साथ सामाजिक संस्थाएं अपना दायित्व निभा रही हैं। मालूम हो कि कोरोना वायरस को लेकर पीएम ने पूरे देश को लॉकडाउन घोषित कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील के बाद कई लोग अब खुलकर मदद के लिए आगे आने लगे हैं। कई लोगों ने प्रधानमंत्री राहत कोष में भी दान राशि के चेक भेजे हैं।जहाँ पूरा देश इस आपदा के साथ तैयार है वही सरकारी नौकरी पेशे के लोगो के ऊपर अहम जिम्मेदारी है । अगर सारी नौकरियों प्राइवेट हो जाएगी तो इस तरह के आपदा प्रबंधन में देश के साथ कौन खड़ा होगा।
पुलिस एवं सुरक्षाकर्मी- पुलिस और सुरक्षा कर्मी की लोकडाउन में जिमेवारी और बढ़ गयी है । मामले अगर जल्द कंट्रोल में न हुए देश को भरतीय सेना के लिए मदद के लिए उपयोग में लाना पड़ सकता है।
डॉक्टर नर्स और हॉस्पिटल कर्मचारी- डॉक्टर और नर्स की भूमिका भी बहुत अहम है । डॉक्टर और नर्सेस इस महामारी को रोकने के लिए पूर्ण रूप से समर्पित भाव से मरीज के सेवा में कार्यरत है। अपने और अपने परिवार की परवाह न करते हुए इनके योगदान को देश कभी नही भूलेगा, हो भी क्यो न इन्हें धरती का भगवान कहा जाता है।
बैंक कर्मी- देश की आर्थिक स्थिति के साथ देश मे लॉक डाउन के द्वारान किसी व्यक्ति जन को किसी भी तरह के धन की किल्लत न हो इस आधार पर बैंक कर्मी भी पूर्ण रूप से अपने कार्य को लेकर समर्पित है।
अगर बात करे तो सारे लोग में पूर्ण रूप से सरकारी कर्मचारी एवं उनके क्षेत्र के लोग इस आपदा के साथ देश के साथ समर्पण भाव से खड़े है। किसी भी राजनीतिक पार्टी से हमे एक सवाल पूछना है कि पूरे देश को अगर प्राइवेट सेक्टर के आधार पर कर दिया जाएगा या अधिकतम लोग आगे आने वाले समय मे प्राइवेट कंपनी में ही कार्यरत होंगे तो इस तरह की विकट परिस्थितियों में देश के साथ कौन खड़ा होगा।
लेखक- लव तिवारी
दिनांक- 22- अप्रैल-2020
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