सोमवार, 11 दिसंबर 2017

जब भी रोना चरागो को बुझा कर रोना - ओसमान मीर

अपने साए से अश्को को छुपा कर रोना
जब भी रोना चरागो को बुझा कर रोना

हाथ भी जाते हुए वो तो मिलाकर न गया-3
मैने चाहा जिसे सिने से लगा कर रोना

जब भी रोना..................

लोग पढ़ लेते है चेहरे पर लिखी तहरीरे- 3
कितना दुश्वार है लोगो से छुपा कर रोना

जब भी रोना..................

तेरे दीवाने का क्या हाल किया है गम ने-5
मुस्कुराते हुए लोगो मे भी जाकर रोना

जब भी रोना..............

Link -https://www.youtube.com/watch?v=JDJZwOF3cws&list=RDJDJZwOF3cws



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