शुक्रवार, 28 जुलाई 2017

तुमको देखूं और फिर सोचूँ न तुमको अपना पाऊँ लव तिवारी

तुमको देखु और फिर सोचु ,न तुमको अपना पाऊँ
ये कैसी है रीत यहाँ की, साथ तुम्हारे जा न सकु

प्यार भरा ये मौसम है और तन्हा मेरा जीवन
ख्वाब के वो सुने पल को मैं तुमसे बतला न सकु

मेरा जीवन मेरी कविता मेरे सब कुछ तुम्ही हो
है दुनिया की एक हक़ीक़त मैं तुमको दिखा न सकूँ

आओ अब हम साथ चले दुनिया की रंजिश छोड़कर
प्यार भरे इस जीवन के कुछ पल तुम्हारे साथ जियूँ

आँखों को एक नरमी और चेहरे की अदायगी
बिन कहे सब बात मैं समझो पर तुमको न समझा पाऊँ

रचना- लव तिवारी
27-07-2017


गुरुवार, 27 जुलाई 2017

हमारा नाम लिखकर कागजो पर फिर उड़ा देना- अज्ञात

हमारा नाम लिखकर कागजों पर फिर उडा देना।
भला सीखा कहाँ तुमने सितम को यूँ हवा देना॥

हमे मालूम है तुम भी किसी से प्यार करते हो।
तुम्हे भी इल्म है मेरा किसी पर मुस्कुरा देना॥

मुहब्बत ग़म मे हो या खुशी मे दोनो बेहतर है।
कहीं कोई मिले तुमको उसे यह मशविरा देना॥

तुम अपने हक पे जायज हो हम अपने हक पे जायज हैं।
कहाँ फिर बात आती है किसी का घर गिरा देना॥

यॆ दुनियाँ है बडी काफिर तू इसकी बात पर मत आ।
के इसका काम है ऊपर चढा कर फिर गिरा देना॥


सोमवार, 24 जुलाई 2017

सुनाइये कुछ अनसुना सा- लव तिवारी

सुनाइये कुछ अनसुना सा
जिंदगी में कुछ रहनुमा सा
ख्वाब और हकीकत में
हो गया एक फासला सा
तुम न मिले तो समझ आया
जिंदगी में न कुछ हुआ सा
मंजरों का दौर भी अब
रह गया अब सुना  सा
जिंदगी में एक मलाल भी
तुम सा न कोई मिला सा
मुझको तुम मिलोगी एक दिन
रह गया अब भरम जरा सा
रचना - लव तिवारी
25-07-2017


सोमवार, 10 जुलाई 2017

आखों में आँसू दिल मे अंगार लिए बैठे है- लव तिवारी

आँखों मे आँसू दिल में अंगार लिए घूमते है
हम तेरे प्यार में गुलिस्ता बर्बाद किये घूमते है

हस्र अब ये है दिल धड़कता नही तड़पता है
ख्वाइशें ऐसी है कि बेकरार लिए घूमते है

याद आते ही अब भी आँखे नम हो जाती
जमना कहता है तेरा प्यार लिए घूमते है

भले दूर ही सही आज भी दिल के करीब हो तुम
ख़्वाब में आज भी तुम्हारा तलबगार लिए घूमते है

जहाँ में हम तुम एक न हो सके तो क्या हुआ
चाहत आज भी जवा है इंतेजार लिए घूमते है

रचना- लव तिवारी 10-07-2017


दोनों उदास है नही बुझती अब प्यास है- लव तिवारी

दोनों उदास है
नही बुझती अब प्यास है

दीवानो की बस्ती में
समुन्दर भी आस पास है

कौन कहेगा इन्हें बेवफ़ा
दुनिया ने इन्हें किया निराश है

अब भी बस करे तो कर दु इन्हें एक मैं
देखो इनकी आखो में कितनी प्यास है

फिर सोचा सब कुछ नही मिलता है
आज आदमी भी अपने नसीब से परेशान है

एक प्रेमी जोड़े की उदासियों को उजागर करती मेरी कविता
रचना- लव तिवारी
10-07-2017


शनिवार, 8 जुलाई 2017

दरिंदगी की आग में झुलसता बंगाल - लव तिवारी

अब भी करो अवार्ड वापसी कोई तो दम दिखाओ
सुवर के अवालाद हो तुम कोई तो जश्न मनाओ

देश जहा नंगा है अपने ही गद्दारों से
करते है जो खून खराबा सत्ता को हथियाने में

ममता को ममता नही बंगाल की दहशत से
अपनी रोटी सेक रही दंगो की नफरत से

हिन्दू को इंसाफ चाहिए देश के तुम गद्दारो से
देश को तुमने बहुत ही रौंदा उल्फत के अंगारो से

आजादी के हक के खातिर हिन्दू मुस्लिम आदी थे
आज ऐसा क्या हुआ जो अपने मे सब बागी है

दरिंदगी की आग में झुलसता बंगाल - लव तिवारी


नाकाम होकर भी कामयाबी की बात करते हो- लव तिवारी

नाकाम हो कर भी कामयाबी की बात करते है
है मोहब्बत जहर और खुराकी की बात करते हो

बदल दिए जाते है वसूल शोहरत और हैसियत देखकर
क़त्ल के दौर में तुम जिंदगानी की बात करते हो

हो मुसफिल तो जनाज़े में भी न हुजूम होगा
होकर गरीब तरफ़दारी की बात करते हो

कहा था कुछ दूर चलो मेरे साथ सफर जिंदगी में
नही चले तो फिर समझदारी की बात करते हो

जामने भर की रंजिश में आज बदनाम है कौम
इन्सानियत की जिद छोड़कर बर्बादी की बात करते हों

नाकाम होकर भी कामयाबी की बात करते हो- लव तिवारी
08-07-2017


शुक्रवार, 7 जुलाई 2017

डर अब ये है कि हर ज़नाज़े को कफन चाहिये - लव तिवारी

डर अब ये है कि हर ज़नाज़े को कफन चाहिये
मौत बत्तर न हो कही एक ऐसी जगह चाहिए

कौन है यहाँ अपना इस बात की खबर नही मुझे
गर पड़े काम तो हर शख्स  की परख चाहिए

आइये चलिए कही बैठ कर फिर जाम पीये
सच को परखने के लिए नशे की लत चाहिए

बड़े तोहमत भी दिए और बाद में शर्मिंदगी भी
ऐसे हालात के बाद भी दिल पर उन्हें हक चाहिए

मुझसे मांगते है वो कि अब दो मुझे तुम और तौफा
दिल लगाने के बदले उन्हें मेरा जानो जहन चाहिए

रचना- डर अब ये है कि हर ज़नाज़े को कफन चाहिये - लव तिवारी
 06-07-2017


गुरुवार, 6 जुलाई 2017

डर अब ये है कि हर जनाज़े को कफन चाहिए - लव तिवारी

डर अब ये है कि हर ज़नाज़े को कफन चाहिये
मौत बत्तर न हो कही एक ऐसी जगह चाहिए

कौन है यहाँ अपना इस बात की खबर नही मुझे
गर पड़े काम तो हर शख्स  की परख चाहिए

आइये चलिए कही बैठ कर फिर जाम पीये
सच को परखने के लिए नशे की लत चाहिए

बड़े तोहमत भी दिए और बाद में शर्मिंदगी भी
ऐसे हालात के लिए भी क्या दिल को लत चाहिए

मुझसे मांगते है वो कि अब दो मुझे तुम और तौफा
दिल लगाने के बदले उन्हें मेरा जानो जहन चाहिए

रचना- लव तिवारी
06-07-2017