कद्दावर के आगे मुकरने का मजा आए
हो सामने पहाड़ ठुकरने का मजा आए
राहें न बत आसां रहबर और हमको
दुश्वार डगर हो गुजरने का मजा आए
चढ़ने दे दोस्त इतना नीचे न दिखे कुछ भी
गहरी हो घाटी उतरने का मजा आए
मिल जाए गर किसी के सपनों को पर हमीसे
फिर ख्वाब कुछ अपने कुतरने का मजा आए
नसीहतें सभी तेरी हम मान लें नासेह
बिगड़ लेने दे इतना सुधरने का मजा आए
.......डॉ एम डी सिंह
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