सोमवार, 6 फ़रवरी 2017

याद आयी माँ बहुत जब खत मिला - जसवंत सिंह

याद आयी माँ बहुत जब खत मिला-2
रुक न पाया आँसुओ का सिलसिला
याद आयी माँ........

माँ के हर अल्फ़ाज से गम की उठी ऐसी लहर
सो सका न चैन से एक पल भी रात भर
वक़्त से करता रहा रो कर गिला
याद आयी........

कितने बचपन के सुहानी  दिन जहन पर छा गए
संग जिनके खेलता था याद वो सब आ गए
कैसे अब लौटेगा वो बचपन भला
याद आयी माँ .........

मैं शहर की भीड़ में आया तो आकर खो गया
मेरा चेहरा मुझसे ही कुछ अजनबी सा हो गया
फूल ख्वाबो का नही कोई खिला
याद आयी माँ ........

भेजती है बहन राखी, रो के लिखती है मुझे
तू तो मुझको भूल बैठा कैसे मैं भूलू तुझे
टूट जाता है मेरा तब हौसला
याद आयी माँ.........

दर बदर भटका हु कितना नौकरी के वास्ते
माँ को कैसे मैं लिखू गुजरे है क्या क्या वास्ते
चाह कर मैं नही पाता भुला
याद आयी माँ.........

आगे लिखती है माँ कैसे रखूं मैं हौसला
कोई पंछी तक न अपना भूलता है घोसला
आ सहा जाता नही अब फासला
याद आयी माँ......


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