छोटे बच्चों की तरह मुझको लुभाने आया
फिर मुझे कोई राजनीती की पाठ पढ़ाने आया
बड़ी फ़जीहत है अपनी इस दौर में नेताओं से
आज फिर से कोई मुझमे इंसानियत जगाने आया
रूखी सूखी खाता हुँ और चुपचाप सो जाता हूँ
स्वपन में खीर की हकीकत को मुझे बताने आया
इन्हें भी कसम दे इंसान के ईमान और वसूल की
वरना एक शख़्श ही सबके घर को जलाने आया
बड़ी खौफ है इस चुनावी दौर में कही रंजिश न हो
फिर कोई नेता हिन्दू मुसलमान के मसलो को उलझाने आया
छोटे बच्चों की तरह मुझको लुभाने आया
फिर मुझे कोई राजनीती की पाठ पढ़ाने आया
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