इस 42 से 48 डिग्री #तापमान में सड़कें जल रहीं..गर्म हवा और लूह से हाल बेहाल है.
वहीं कुछ लोग हैं जो बिना #धूप-छाँव की परवाह किये सड़क पर अपने काम में लगे हैं... धूप में जल रहे हैं...कन्धे पर फटा गमछा..और पैरों में टूटी चप्पल पहने धीरे से पूछ रहे.."कहाँ चलना है भइया.फिल्म सिटी 16 नॉएडा ."?
आइये तीस रुपया ही दिजियेगा।"
इसी बीच कोई आईफोन धारी आता है अपने ब्युटीफुल गरलफ्रेंड के साथ..और अकड़ के कहता है.."अरे..हम जनवरी में आये थे तब बीस रुपया दिए थे बे....कइसे तीस रुपया होगा" चलो पच्चीस लेना"
#गर्लफ्रेंड मुस्कराती है..मानों उनके ब्वायफ़्रेंड जी ने 5 रुपया नहीं 5 करोड़ डूबने से बचा लिया हो..वो हाथ पकड़ के रिक्शे पर बैठतीं हैं..और बहुत ही प्राउड फील करती हैं...
यही ब्वायफ़्रेंड जी जब #KFC,मैकडोनाल्ड और पिज़्ज़ा हट में उसी गर्लफ्रेंड के साथ कोल्ड काफी पीने जाते हैं.तो बैरा को 50 रुपया एक्स्ट्रा देकर चले आते हैं..
वही गर्लफ्रेंड जी अपने बवायफ्रेंड जी की इस उदारता पर मुग्ध हो जातीं हैं...वाह..कितना इंटेलिजेंट हैं न.
आदमी कितनी बारीक चीजें इग्नोर कर देता है..जाहिर सी बात है की जो बैरा को पचास दे सकता है..वो किसी गरीब बुजुर्ग #रिक्शे वाले को दस रुपया अधिक भी तो दे सकता है..
लेकिन सामन्यतया आदमी का स्वभाव इतना लचीला नहीं हो पाता..
क्योंकि अपने आप को दूसरे की जगह रखकर किसी चीज को देखने की कला हमें कभी नहीँ सिखाई गयी।
और आज सलेक्टिव संवेदनशीलता के दौर में ये सब सोचने की फुर्सत किसे है.
कई बातें हैं...बस यही कहूंगा की..इस #प्रचण्ड गर्मी में रिक्शे वालों से ज्यादा मोल भाव मत करिये..
जब बैरा को पचास देने से आप गरीब नहीं होते तो रिक्शे वाले को पांच रुपया अधिक देने से आप गरीब नहीं हो जायेंगे..कोई #गाजीपुर का लल्लन,कोई #बलिया का मुनेसर, कोई #सीवान का खेदन या फिर देश के किसी भी जगह से अपना घर-दुआर छोड़ #बेल का शरबत, दही की #लस्सी,आम का #पन्ना, और #सतुई बेच रहा है..एक सेल्फ़ी उस लस्सी वाले के साथ भी तो लिजिये।
जरा झांकिए इनकी आँखों में एक बार गौर से...
इसके पीछे..इनकी माँ बहन बेटा बेटी की हजारों उम्मीदें आपको उम्मीद से घूरती मिलेंगी..
केएफसी कोक और मैकडोनाल्ड का पैसा पता न कहाँ जाता होगा.. लेकिन आपके इस बीस रुपया के लस्सी से.और दस रुपया के बेल के शरबत से .5 रुपये के नींबू पानी से किसी खेदन का तीन साल का बबलुआ इस साल पहली बार स्कूल जाएगा.
किसी मुनेसर के बहन की अगले लगन में शादी होगी.
किसी खेदन की मेहरारू कई साल बाद अपने लिए नया पायल खरीदेगी..
इतनी गर्मी के इतनी सी संवेदना बची रहे..
हम आदमी बने रहेंगे।
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