शारीरिक श्रम एवं मानसिक श्रम से हमने लोगो को अपने व्यक्तिगत विकास की परिभाषा लिखते हुए देखा है , बच्चों का वह बड़ा समूह जो पाठशाला का रुपरेखा को भी नहीं देखा हो और अगर देखा भी होगा तो किताबी ज्ञान के अलावा कुछ भी नहीं, यहाँ बच्चों को ज्ञान के साथ संस्कार एवं समाज में समाज के प्रति निःस्वार्थ भाव की सेवा का जो बीज आज के इस बिगड़ते समाज को प्रवीण तिवारी Praveen Tree ने दिया है उसे देखकर मन प्रफुल्लित हो जाता है, गर्मी के दिनों में राहगीरों को प्याऊ के माध्यम से शीतल जल से प्यास बुझाने के साथ गरीब परिवार के बच्चों को दिन का भोजन की व्यवस्था भी, राहगीरों और समाज को एक सन्देश की धरती पर आने का मक़सद अपना स्वार्थ ही नहीं बल्कि समाज में निःस्वार्थ सेवा भी है,
इस समाज में एक पक्ष राजनीती भी है चाहे वो किसी देश या राज्य की कोई भी पार्टी हो उसका मुख्य उदेश्य समाज के बिगड़ते रूप समाजिक व्यवस्था को सही एवं सुचारू रूप से करने की है इसका उल्टा असर है , अभी हमने माननीय प्रधानमंत्री के एक भाषण में सुना की अगर हम देश के 125 करोड़ जनता एक साथ मिल कर काम करे तो देश की एक अलग तस्वीर होगी, मैं प्रधानमंत्री जी से पूछना चाहता हु देश की जनता भी एक हो जायेगी और देश का विकास भी होगा , लेकिन क्या सारी राजनैतिक पार्टी एक हो सकती है , नहीं कभी नहीं एक तो छोड़िये भारतीय सविधान ने मुर्ख को भी एक नयी पार्टी बनाने का अधिकार है ,पार्टी बनाकर समाज को बाटने का भी , ऊपर दिए हुये तस्वीर के माध्यम से मैंने यह कहने का प्रयास किया है कि यहाँ समाजसेवी नेता की जरुरत है न कि समाज विरोधी,
प्रस्तुति- लव तिवारी
ग़ाज़ीपुर
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