मेरी कलाम से, पंचायत चुनाव विशेष -2015
कालक्रम में परिवारवाद की परिभाषा हो गई है। रिश्तेदारी पर आधारित पक्षपात कई लोग इसको काफी संकुचित रूप में लेते हैं। उनके अनुसार न केवल रिश्तेदारों को जिम्मेदार के पद पर बिठाया जाता है। बल्कि ऐसा करते समय उसकी अयोग्यता और उनके पिछले आचरण सामाजिक निष्ठा को भी ध्यान मे नही रखा जाता है I हम अपने गाँव के परिवारवाद का ज़िक्र करेगे और उनके कुछ बिन्दुओ पर प्रकाश डालेगे-
1- यहा पर जितनी भी वृधा पेंशन है पहले अपने परिवार के सदस्यो को दिया जाता है, बाद मे जनता को भी नही उनके समर्थक को जिन्होने उन्हे प्रधान प्राप्ति मे सहयोग किया है
2- हॅंड पंप को भी अपने परिवार और परिवार के सदस्यो के घर और द्वार पर लगाया जाता है
3- अगर परिवार या परिवार का कोई भी सदस्य अनेतिक कार्य करता है तो उस पर उसका पूरा सहयोग किया जाता है
4-सरकारी संपतियो का पूर्ण खर्च अपने परिवार और परिवार के विकास के कार्यो मे होता है जैसे चार पहिया गाड़ी, अपने भवन निर्माण ,बॅंक बॅलेन्स इत्यादि
किसी भी जगह की राजनीति के तीन मुख्य कारण है
परिवारवाद
जातिवाद
समाजवाद
परिवार वाद का हम ज़िक्र कर चुके है जातिवाद भी अहम् मुद्दा है अपने गाँव को एक सही सरपंच की ज़रूरत है जो सही रूप से समाजवाद को परिभाषित करे,हमे इस बात की खुशी हो रही है कि हमारे बड़े इस खूली बहस मे हमारा साथ दे रहे है और कुछ ऐसी बात भी बता रहे है कि जो हमे नही पता है जैसे बाबा अजय तिवारी के द्वारा अस्पताल की बात, जो सन 1981 मे 7 बिस्तर का प्राइमरी स्वास्थ्य केंद्र सीधे स्वास्थ्य मंत्री ने स्वीकृत किया था
बाद मे माननीय पी के तिवारी जी के द्वारा एक कॉलेज भी हमे प्राप्त हुआ था जो ग्राम के वासीयो ने ज़मीन के वजह से ठुकरा दिया क्यो की किसी सार्वजनिक कम के लिए कोई अपनी ज़मीन तो देगा नही और ग्राम सभा की ज़मीन पर कुछ अराजक लोगो ने कब्जा जमाए रखा है
प्रस्तुति -लव तिवारी
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