मंगलवार, 7 जनवरी 2014

हमारा नाम लिखकर कागजों पर फिर उडा देना। भला सीखा कहाँ तुमने सितम को यूँ हवा देना॥

हमारा नाम लिखकर कागजों पर फिर उडा देना।
भला सीखा कहाँ तुमने सितम को यूँ हवा देना॥

हमे मालूम है तुम भी किसी से प्यार करते हो।
तुम्हे भी इल्म है मेरा किसी पर मुस्कुरा देना॥

मुहब्बत ग़म मे हो या खुशी मे दोनो बेहतर है।
कहीं कोई मिले तुमको उसे यह मशविरा देना॥

तुम अपने हक पे जायज हो हम अपने हक पे जायज हैं।
कहाँ फिर बात आती है किसी का घर गिरा देना॥

यॆ दुनियाँ है बडी काफिर तू इसकी बात पर मत आ।
के इसका काम है ऊपर चढा कर फिर गिरा देना॥

रीतेश रजवाणा"विभू"

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