बुधवार, 31 जुलाई 2013

वो हमसे दूर रहकर ही खुश रहते है जिनके लिए हम अक्सर रोते रहते है

वो हमसे दूर रहकर ही खुश रहते है
जिनके लिए हम अक्सर रोते रहते है

पानी की ज़िद छोड़ो मुशफिर अश्क पी लो
गम के सताए लोग ही यहा रहते है

हमने महफ़िलो मे जाना छोड़ दिया है
मुझे तन्हा देख के ही खुश रहते है

हम उनको पाने के लिए खुदा से लड़े थे
आज वही शक्स मेरे दुश्मनो के साथ रहते है

हमपे वॉर करते है तो करने दो न रानु'
हम उन्हे अपना समझकर ही छोड़ते रहते है

हमने तुमको चाहा है मेरा यकीन करो दिल के हर धड़कन मे बसा लुगा मेरा यकीन करो

हमने तुमको चाहा है मेरा यकीन करो
दिल के हर धड़कन मे बसा लुगा मेरा यकीन करो

 कोई चाहेगा मुझसे ज़्यादा तो बताना सनम
तेरे आसुओ को अपने पलको पे लुगा मेरा यकीन करो

चाहत का सिला तो क्या देगी मुझको
मैं तेरा हर मोड़ पे साथ दुगा मेरा यकीन करो

मेरे प्यार को ना समझने वाली
साया बनके तेरा साथ दुगा मेरा यकीन करो

मुझको गले लगाती तो सूखे शाख पे गुल खिलते
तेरे हुस्न की तारीफ़ मैं रोज इक नयी ग़ज़ल लिखुगा 

मुश्किल मे जब था तो किसी ने दामन थाम लिया


मुश्किल मे जब था तो किसी ने दामन थाम लिया
लड़खड़ा गये जब कदम तो किसी ने दामन थाम लिया ,

मुझे मालूम नही की वो अपना है या पराया
जिन्दगी की जब ढलने लगी शाम तो किसी ने दामन थाम लिया,

हम दिल लगा बैठे है अपने ही कातिल से
खुद पर जब रोना आया तो किसी ने दामन थाम लिया,

आज ना-हक पीजिए और कीजिए बाते पैमाने से
नशे मे जब झूम उठा बूटखाने मे शांकी ने दामन थाम लिया,