बुधवार, 31 जुलाई 2013

वो हमसे दूर रहकर ही खुश रहते है जिनके लिए हम अक्सर रोते रहते है

वो हमसे दूर रहकर ही खुश रहते है
जिनके लिए हम अक्सर रोते रहते है

पानी की ज़िद छोड़ो मुशफिर अश्क पी लो
गम के सताए लोग ही यहा रहते है

हमने महफ़िलो मे जाना छोड़ दिया है
मुझे तन्हा देख के ही खुश रहते है

हम उनको पाने के लिए खुदा से लड़े थे
आज वही शक्स मेरे दुश्मनो के साथ रहते है

हमपे वॉर करते है तो करने दो न रानु'
हम उन्हे अपना समझकर ही छोड़ते रहते है

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