ग़ज़ल
रातें देखी हैं सहर भी देखेंगे
तेरी बातों का असर भी देखेंगे
आए हैं हम देखने पर उतर जो
नजारे ही नहीं नजर भी देखेंगे
हर गली-नुक्कड़ हर मोड़ पर तेरा
गुरूर ही नहीं सबर भी देखेंगे
दरो-दीवार चाहे सलाखें दिखा
ख़िदमत बस नहीं कहर भी देखेंगे
अबे सुन यार ग़ज़लगो आज तेरा
दीवान भी हम बहर भी देखेंगे
सहर-सुबह, सबर- संतोष,
ख़िदमत- आव-भगत
दरो दीवार- घर द्वार,
सलाखें -जेल ,कहर- आतंक
ग़ज़लगो- ग़ज़ल गाने वाले
दीवान- गजल संग्रह
बहर- शेर की एक-एक लाइन का तरीका
डाॅ एम डी सिंह
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