किसी को न चाहे सब कुछ देते हो मालिक।
मेरे महबूब को क्यों नही खुशी देते।।
मेरी दुनिया मेरा खज़ाना है वो
उसके चेहरे को क्यों नही हँसी देतें।
तेरी रहमतों में उसका भी नाम शामिल हो।
उसकी हसरतों को क्यों नही गति देते।
उसका सामना अगर मौत से हो कभी।
मेरी हिस्से की उसको जिंदगी दे दे।।
मेरी ख्वाईश मेरी आरजू मेरी बंदगी है वो
उसको जो चाहे वो हर ख़ुशी दे दे।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें