बुधवार, 13 दिसंबर 2023

मैं जानता हूं कि तुम मेरी नहीं हो फिर भी तुमको पाने को दिल करता है रचना- लव तिवारी ग़ाज़ीपुर

ये आंखें ये होंठ और सादगी भरा चेहरा इसमें डूब जाने को दिल करता है।
मैं जानता हूं कि तुम मेरी नहीं हो फिर भी तुमको पाने को दिल करता है।।।

यह जमाने के दस्तूर और नियम हमारे लिए नहीं है
ये सब जानकर फिर भी तुमसे दिल लगाने को जी करता है।

तुम मेरी हो कर रहोगी इस बात का यक़ीन मुझे भी है।
फिर भी तुम्हारे याद में दिल को धड़काने का जी करता है।

खुदा तुम्हें हर शोहरत हर ना चीज से नवाजे इस जमाने में
जो तेरे दुश्मन है उनको रास्तों से हटाने को जी करता है।

आदमी में भी बुरा कहां हूं जो बस तुम्हारे बारे में सोचता हूँ।
अब दिल आ ही गया है तुमपर तो साथ मुस्कुराने जी करता है।।



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