तकलीफ़ दुनिया मे कम कहा है।
किसके आगे रोया जाए।
हम सल्तनत के राजा नहीँ
कैसे किसी को ढोया जाय।
सत्ता जिसकी है वो बेख़बर है
नेता और अधिकारी जन
मेरा आंसू कौन पोछेगा
किसको हमदर्द कहा जाये।।
इस दुनिया मे जो भी आया
सब कुछ न कुछ दर्द लिए है।
मेरी हालत ऐसी है कि
सबके दर्द को को न सहा जाए
मेरे मालिक तेरी दुनिया मे ऐसा क्यों अन्याय है।
जो तेरा है वही दुःखी है किस किस से निपटा जाय।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें