"बिना कुछ किये हुए कोई भी काम मुकम्मल नहीं होता,
बिना किसी प्रयास के किसी समस्या का हल नहीं होता,
ज़रूर उसने अटूट विश्वास किया होगा अपना समझकर,
नहीं तो बिना विश्वास किये किसी के साथ छल नहीं होता,
अगर मिली है ज़िंदगी तो किसी के परमार्थ कुछ अच्छा करो!,
मरणोपरांत जग में नाम नहीं होने पर जीवन सफ़ल नहीं होता,
तुम्हारी सफलताओं पर तुम्हारे कथित अपने ही ज़हर उगलेंगे,
आस्तीन के सांप से ज़्यादा किंग कोबरा में भी गरल नहीं होता,
अपने अधिकारों को पाने लिए तुमको स्वयं ही लड़ने पड़ेगा!,
ज़िंदगी का सफर बहुत मुश्किल होता है यह सरल नहीं होता।"
नीरज कुमार मिश्र
बलिया
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