सोमवार, 6 नवंबर 2023

किस्मत- रचना नीरज कुमार मिश्र बलिया

"किस्मत"

"रूठ जाती है किस्मत अक्सर,
फूट जाती है किस्मत अक्सर,

सुकर्म से सम्मान नहीं करोगे तो,
ऊठ जाती है किस्मत अक्सर,

वक्त रहते हुए यदि नहीं पकड़े तो,
छूट जाती है किस्मत अक्सर,

इसे हमेशा मत कोसते रहो, क्योंकि,
टूट जाती है किस्मत अक्सर,

तुम्हारी सही है तो सम्भालो!, वरना,
लूट जाती है किस्मत अक्सर,।"

नीरज कुमार मिश्र
बलिया


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