हसीन ख़्वाब दिखाकर दूर चले जाते हैं लोग,
अपनी नीयत जताकर दूर चले जाते हैं लोग,
पहले मीठी बात करके चले आते हैं रूह तक,
मन की फितरत बताकर दूर चले जाते हैं लोग,
लगा देते हैं विश्वास का पर्दा दिल के दरवाज़े पर,
विदा होते वक्त उसे हटाकर दूर चले जाते हैं लोग,
श्रद्धा की चाक से लिखते हैं प्रेम मुहब्बत की बातें,
धोखे के डस्टर से मिटाकर दूर चले जाते हैं लोग,
जिसे पता नहीं होता, मुहब्बत का "म" अक्षर भी,
उसे भी प्रेम रोग लगाकर दूर चले जाते हैं लोग,।"
नीरज कुमार मिश्र
बलिया
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