शनिवार, 9 सितंबर 2023

हाय वो रूप की रानी- अहकम ग़ाज़ीपुरी

. ......... गीत......


चाद सा मुखडा़ नैन रसीले जीयरा को तरसाये

बेकल मनवा मसत जवानी बार बार ललचाये

हाये वो रुप की रानी ........


कैसा है ये प्रेम का बनधन फुल से भौरा दुर

ये कैसी है रीत जहाँ की दो दिल है मजबुर

तंहाई मे उसकी यादें जिया मोरा तड़पाये

हाये वो रुप की रानी .......



रुप नगर मे साझ की बेला आई है बारात

अरमानो की सेज सजी है पिया मीलन की रात

कजरा लगा के मेंहदि सजा के धुंधट मे शरमाये

हाये वो रुप की रानी .......



तोड़ के अपनी लाज का बंधन मुझ से करले पयार

परदेसी की जान न ले ले तेरा रुप सींगार

चड़ती जवानी देख के मोरे आग लगाये

हाये वो रुप की रानी .......



ओ पंछी उंसे कहदेना "अहकम" है प्रदेश

रुप की रानी को दे देना मेरा ये संदेश

पड़ कर मेरे प्रेम पर्त को लाज से मर मर जाये

हाये वो रुप की रानी .......



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