गणेश चतुर्थी पर चंद्र देव और गणेश जी की स्तुति
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धवल मृदुल है रूप तुम्हारा
तुमसे है जग में उजियारा
चंद्र देव अब दर्शन दीजै
विनय कर रहा भक्त तुम्हारा।
भूख प्यास से आतप मन है,
क्षीणकाय अति निर्बल तन है
कलानिधि अब कृपा करो तुम
साष्टांग विनवत तन मन है।
शशि शशांक सारंग निशाकर
बिधु मयंक सुधांशु सुधाकर
रजनी पति अनेक हैं नामा
शिव के शिखर करत विश्रामा
भादो मास मा कृष्ण चतुर्थी
व्रत पूजन करिए गणपति की
विघ्नहरन विपदा हर लेते
सेवक जन को सब सुख देते
कृपा करो हे दीन दयाला
शंभू सुत गौरी के लाला
करत अनुग्रह मधु कर जोरे
कष्ट हरो सब गणपति मोरे
मधुलिका राय मल्लिका गाज़ीपुर उत्तर प्रदेश
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