सोमवार, 10 जुलाई 2023

ग़ाज़ीपुर के युवा चर्चित कवि विश्वजीत पटेल का संक्षिप्त परिचय एवं रचनाएँ

प्रारूप 
नाम : विश्‍वजीत पटेल  'चीकू'
जन्मतिथि :10/07/2002
माता का नाम :सविता देवी
पिता का नाम : राजेश कुमार पटेल
जन्म स्थान : ग्राम हाटा तहसील मोहम्दाबाद ग़ाज़ीपुर उत्तर प्रदेश
शैक्षिक योग्यता : बी.ए.
संप्रति (पेशा) : विद्यार्थी 
विधाएं : पद्य
साहित्यिक गतिविधियां : कविता 
प्रकाशित कृतियां : कोई नही
पुरस्कार सम्मान : गाजीपुर के हुनरबाज 
संपर्क सूत्र : 9369090189
e.mail - vpatel233227@gmail.com
विशेष परिचय :
(नोट-तीन अच्छी किन्तु छोटी रचनाएं भी साथ में होना चाहिए।) 

----------------------------------


दरवाजे के पीपल जैसे सब सहते हैं बाबूजी,
हमे देख कर पढ़ते-लिखते ,खुश होते हैं बाबूजी।

मम्मी तो कह भी देती है, कभी कभी मन की बातें,
कम खाते हैं, ग़म खाते हैं, चुप रहते हैं बाबूजी।

पैरों में चप्पलें पुरानी, हर मौसम एक ही पैंट-कुर्ता,
बिगड़े स्वास्थ पर भी मजबूती से, सब सहते हैं बाबूजी।

फीस, किताबें, होली-खिचड़ी, तीज, रजाई,मेला, हाट,
बुनकर के ताने-बाने-सा, सब बुनते हैं बाबूजी।

घर भर की सारी ज़रूरतें गुप - चुप वह पढ़ लेते हैं,
अपनी कोई भी अभिलाषा कब कहते हैं बाबूजी।

अपनी बच्चों के खातिर कविता और कहानी हैं,
यहां शाम ढले तो अक्सर यादों में बहते हैं बाबूजी।

दरवाजे के पीपल जैसे सब सहते हैं बाबूजी,
हमे देख कर पढ़ते-लिखते , खुश होते हैं बाबूजी।


----------------------------------
एक आदमी
नून और तेल में तबाह एक आदमी |
कर रहा है जीने का गुनाह एक आदमी ||

बच्चे गुदड़ीयों में रात-रात रोतें हैं |
रोटी और चांद भला धरती पर होते हैं ||

चेहरे से भूख का गवाह एक आदमी |
नून और तेल में तबाह एक आदमी ||

बड़के महाजन का संदेशा आया है |
छप्पर पर कर्ज का पहाड़ घहराया है ||

घूंटी हुई चीख़ और आह एक आदमी |
कर रहा है जीने का गुनाह एक आदमी ||

बरसों में देख रहा बिटिया सयानी हुई |
नौ मन तेल और राधा की कहानी हुई ||

सपने में देख रहा ब्याह एक आदमी |
कर रहा है जीने का गुनाह एक आदमी ||

पेट और पीठ को आपस में ऐंठ कर |
जीवन के मरघट पर मुर्दे सा बैठ कर ||

करता है आपसे निवाह एक आदमी |
नून और तेल में तबाह एक आदमी ||






कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें