सोमवार, 10 जुलाई 2023

कर रहा जीने का गुनाह एक आदमी- रचना विश्वजीत पटेल ग़ाज़ीपुर उत्तर प्रदेश

एक आदमी
नून और तेल में तबाह एक आदमी |
कर रहा है जीने का गुनाह एक आदमी ||

बच्चे गुदड़ीयों में रात-रात रोतें हैं |
रोटी और चांद भला धरती पर होते हैं ||

चेहरे से भूख का गवाह एक आदमी |
नून और तेल में तबाह एक आदमी ||

बड़के महाजन का संदेशा आया है |
छप्पर पर कर्ज का पहाड़ घहराया है ||

घूंटी हुई चीख़ और आह एक आदमी |
कर रहा है जीने का गुनाह एक आदमी ||

बरसों में देख रहा बिटिया सयानी हुई |
नौ मन तेल और राधा की कहानी हुई ||

सपने में देख रहा ब्याह एक आदमी |
कर रहा है जीने का गुनाह एक आदमी ||

पेट और पीठ को आपस में ऐंठ कर |
जीवन के मरघट पर मुर्दे सा बैठ कर ||

करता है आपसे निवाह एक आदमी |
नून और तेल में तबाह एक आदमी ||



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