बुधवार, 12 जुलाई 2023

पुण्यतिथि विशेष (डॉ पी एन सिंह) - श्री माधव कृष्ण ग़ाज़ीपुर उत्तर प्रदेश

(१)
वह रंगरेज था
लोग कहते हैं उसकी होद में केवल लाल रंग था
यह रक्तवर्णी रोग था या शौक
नहीं कह सकता
पर गांधी की फुहारों से चटख लाल हल्का हो गया
उसे इंद्रधनुष दिखा
उसने महसूस किया पहली बार
रंगीन दुनियाँ और भी खूबसूरत है.

(२)
वे एक जोड़ी आँखें
निरीह थीं
अस्पष्ट थीं
चीखने लगी थीं आखिरी समय
लोकतंत्र समाजवाद
उसने बाईं आँख से परिवर्तन देखा
और दाहिनी आँख से परम्परा
वह बीच में आ चुका था
लोग बैठते थे
या तो उसके दायीं तरफ
या बाईं तरफ
वह सुनता था
कुछ कहता था
अस्पष्ट था
इसलिए सबने अपने मतलब लिए
मैं केवल यही सुन पाया कि
मैं काना था, एकाक्ष
‘मैं अब काना नहीं!’

(३)
देह होकर भी देह का न होना
देह में होकर देह से परे होना
उसे देखकर पुरखे याद आते थे
जो कहते थे
देह नश्वर है
आत्मा अमर है
वह देह से अलग हो चुका था
उसकी आत्मा थी
बुद्धि
विमर्श
पुस्तकें.
देह के लिए निर्भर रह सकते हैं दूसरों पर
उसे बुद्धि अपनी ही चाहिए थी
करवट तुम बदल सकते हो
बुद्धि की करवट केवल मैं बदलूंगा
इन्हें धीरे-धीरे रिसते देख
उसने आँखें मूँद लीं
वह चला गया
पुनरागमन के लिए इन्हीं किताबों के बीच.

- श्री माधव कृष्ण
ग़ाज़ीपुर उत्तर प्रदेश


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