बुधवार, 12 जुलाई 2023

काम कौनो अक़ील करत नईखे फूल आवे झरे फरत नईखे - मंजीत कुमार मनचला सेमरा ग़ाज़ीपुर

1 भोजपुरी ग़ज़ल

काम कौनो अक़ील करत नईखे
फूल आवे झरे फरत नईखे

तीर बन्दूक जेकरा हाथे बा
देवी देवतों ले उ डरत नईखे

भाव के तेल का सूखा गईल
नेह दियना तनिक बरत नईखे

घाव हरियर होखे ला दिन पर दिन
पीर कौनो ग़ज़ल हरत नईखे

रउआ आइला मनचला सुन ली
गोड़ भूईआ ले अब परत नईखे

काम कौनो अक़ील करत नईखे
फूल आवे झरे फरत नईखे

2- हिंदी ग़ज़ल

मेरे दिल में रहो मेरी अलग पहचान बन जाओ-
मैं तेरी जान बन जाऊं, तू मेरी जान बन जाओ।

न तन्हाई न गम हो, न मायूसी के वो लम्हें
मैं तेरी सुबह बन जाऊ, तू मेरी शाम बन जाओ

तेरी यादों का पैमाना पीयू घर में ही रह कर
मेरे जलते हुए होठों के खातिर तुम जाम बन जाओ

सभी बेटो को इंजीनियर डी एम सी एम बनाते है
मगर कोई नही कहता तुम इंसान बन जाओ

तेरी मुस्कान पे मरता कोई मनचला हरगिज़
मैं मुश्किल हु तूम मेरे लिए आसान बन जाओ।


मेरे दिल में रहो मेरी अलग पहचान बन जाओ-
मैं तेरी जान बन जाऊं, तू मेरी जान बन जाओ।




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