खोल के ख़िरीकिया बैठे उचकी अटरिया
सावर गोरिया मारे तिरछी नजरिया-२
लउके ला बीन ओर छोर के उकेर नीलकी चुनरी
नव नव मन काजल दूनों नयन में डाले सुनरी-२
लाल रे टुकुलिया देखी भागे रे अनरिया
सावर गोरिया मारे तिरछी नजरिया-२
ससिया लेत घुमावे मुहवा आवे रतीया कारी
केसवा लहरा देले सगरे हो जाले पनियरी-२
देहिया तोरे त चले अरे फागुन बयरिया
सावर गोरिया मारे तिरछी नजरिया-२
हाथवा मार के बोलावेले जब तब चमका के मुनरी
अखियां बचा के सबकर छट दे लटकावे ले रसरी
जाल जे उ लौउठे ना फेरु ये नगरिया
सावर गोरिया मारे तिरछी नजरिया-२
खोल के ख़िरीकिया बैठे उचकी अटरिया
सावर गोरिया मारे तिरछी नजरिया
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