सोमवार, 18 जुलाई 2022

बरसत बरसत क़ईले बाड़ा पूरा बम्बई पानी पानी तनी बरसता यू० पी० में त हे भगवान हम तोहक़े मानी- कवि राजेश पाल,

बरसत बरसत क़ईले बाड़ा पूरा बम्बई पानी पानी….

बरसत बरसत क़ईले बाड़ा पूरा बम्बई पानी पानी;
तनी बरसता यू० पी० में त, हे भगवान हम तोहक़े मानी,

केहु के आस जगउले बाड़ा, कोई के प्यास बुझउले बाड़ा,
केहु पानी बिना मरल जात बा केतना घर जे बुड़उले बाड़ा,
अइसन भी का मोर जुलुम बा जे तू
बतावॉ हमहूँ जानी,
तनी बरसता यू० पी० में त, हे भगवान हम तोहक़े मानी,

केहु के खेतवा नाहीं भराइल, केहू पानी से उबियाइल,
जे तनिको बदरा लउके उपरा लगे कि आन्ही-पानी आइल,
अइसन भी का कोई बचल बा जेकर ना तू छवलॉ छानी,
तनी बरसता यू० पी० में त, हे भगवान हम तोहक़े जानी,

कहीं मनसुनवा एतना बरसे कहीं बा मनवा सुने सूना,
कहीं भरल बा ताल पोखरिया कहीं झुराइल कोने कोना,
कहीं गिरत बा काँच बखरिया, कहीं तपे कपार के चानी
तनी बरसता यू० पी० में त, हे भगवान हम तोहक़े जानी,

केहू पानी बिना झुराइल केहू पानी में उतराइल,
केहू छान के पानी पिए केहू पनिए में बॉ छनाइल,
तब बोला हम का लिक्ख़ि जब लिखीं नाहीं उल्टी बानी
तनी बरसता यू० पी० में त, हे भगवान हम तोहक़े जानी,


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