ओ मईया तैने का ठानी मन में,
राम-सिया भेज दइरी वन में -२
हाय री तैने का ठानी मन में,
राम-सिया भेज दइ री वन में -२
यधपि भरत तेरो ही जायो,
तेरी करनी देख लज्जायो,
अपनों पद तैने आप गँवायो
भरत की नजरन में,
राम-सिया भेज........
हठीली तैने .....
महल छोड़ वहाँ नहीं’ रे मड़ैया,
सिया सुकुमारी,संग दोउ भईया,
काहू वृक्ष तर भीजत होंगे, तीरो मेहन में,
राम-सिया भेज...........
दीवानी तैने का........
राम-सिया भेज ..........
कौशल्या की छिन गयी वाणी,
रोय ना सकी उर्मिला दीवानी,
कैकेयी तू बस एक ही रानी
रह गयी महलन में,
राम-सिया भेज.......
दीवानी तैने का.........
राम-सिया भेज......….
यह गीत भारत देश के सुप्रसिद्ध धारवाहिक रामायण से लिया गया है। जिसे रामानंद सागर जी ने बनाया था और इस धारवाहिक के लगभग सारे गीत को खुद रविन्द्र जैन ने लिखने के साथ गाया व संगीतबद्ध किया किया है।
जय प्रभु श्री राम।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें