रविवार, 24 अप्रैल 2022

सेनुर दूध लड़े अपने में- महान गीतकार आदरणीय श्री तारकेश्वर मिश्र राही जी

 भोजपुरी के महान गीतकार आदरणीय श्री तारकेश्वर मिश्र राही जी व महान गायक श्री Jeetu Prajapati जी के साथ शिष्टाचार मुलाकात आज ग़ाज़ीपुर में स्थित सकलेनाबाद में हूआ। आदरणीय गुरु जी की अदभुत रचना सेनुर दूध से लड़े( लव कुश काव्य) की सुंदर काव्यपाठ के भरपूर आनंद की अनुभूति भी हमे प्राप्त हुईl

सेनुर दूध लड़े अपने में
सीता उहाँ गुरुदेव से पूछति,
कइसन वीर महीपत बाने
काहे बदे वन युद्ध छिड़ा,
जवना में मोरा ललना रत बाने
आवत ना हिय चैन मोरा,
दिन-राति वियोग में बीतत बाने
लोग बतावेला रोज इहाँ,
वनदेवी लला तोर जीतत बाने
लाजि न बा तनिको उनका,
जे कि सेना लिये लरिका से लड़ेलें
जाके उन्हें समझाईं तनी,
सब का कही, काहें अनेत करेलें
सेना सुनींला कि बाटे अपार,
तबो दुइ बालक नाहिं डरेलें
काहें ऊ युद्ध करावत बा,
जेकरे रन-बाँकुर रोज मरेलें
ना कुछ सूझे, बिना बपऊ तोरे,
संकट भारी कटी अब कइसे
जो लरिका मोरे ना रहिहें,
अँसुआ जिनिगी भर पीयब कइसे
साड़ी सोहाग के नाहिं सिआति बा,
आँचर फाटी त सीयब कइसे
आँखि के ना रहिहें पुतरी,
गुरुदेव भला हम जीयब कइसे
दूध के दाँत न टूटल बा,
सुकुवार सलोना हवें दुनो भइया
आस में पोसत बानी एही,
दुखवा में मोरी सब होइहें सहइया
नाव मोरी मझधार में बाटे,
कोंहाइल बा कहिए से खेवइया
टूटल जो पतवार अधार त,
जाईं कहाँ मोर बोझल नइया
ध्यान में देखि मुनी मुसुकालें
कि बेटा आ बाप अड़े अपने में
अइसन लोग सुनी त हँसी,
आ कि आपन रूप गड़े अपने में
धन्य विधाता विधान तोरा आ
कि नैन दुनो झगड़े अपने में
कंगन चूडी लड़े त लड़े
इहाँ सेनुर दूध लड़े अपने में
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