शुक्रवार, 15 अप्रैल 2022

आखिर संस्कार बनते कैसे हैं सच्चाई पर आधारित - प्रवीण तिवारी पेड़ बाबा

आखिर संस्कार बनते कैसे हैं ((सच्चाई पर आधारित ))::--
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एक लड़का जो अभी बड़ा हो रहा था , उसकी स्मरण शक्ति विकसित हो रही थी । उसके माँ-पिता हमेशा लड़ाई करते रहते थे । वह लड़का हमेशा डरा-डरा सा रहता था । दरवाजे पर हल्का सा भी आहट होता वह कहीं छुपने की कोशिश में रहता । छुपने के दो कारण थे, एक तो यह कि यह आहट कहीं उसके पिता की न हो और दूसरी यह की कोई पड़ोसी न हो । ऐसा इसलिए कि लोग घर के स्थिति के बारे में बच्चों से ही पूछताछ करते हैं ।

इसका असर यह हुआ कि वह बच्चा लोगों से बचने की ही कोशिश में रहने लगा। धीरे-धीरे वह लड़का बड़ा होने लगा । अब वह बाहर जा कर खेलने लायक हो गया। अब मौका मिलते ही वह बच्चा घर से निकल जाता। एक दिन उसके पिता घर आकर बच्चे को नहीं देखे तो उसके बारे में पूछे और जब उनको पता चला कि वह खेलने गया है तो वह उसे खोजने निकल गए और जब लड़का मिला तो उसे उसके दोस्तों के सामने ही पीटना शुरू कर दिए । इसका असर यह हुआ कि जब भी वह बच्चा बाहर निकलता तो बच्चे उसका उपहास उड़ाते , अब वह बच्चा बाहर भी निकलना बंद कर दिया ।

वह लड़का अब पढ़ने लगा था । पढ़ने में वह ठीक था , इस वजह से उसके नंबर ठीक आते थे । परन्तु नंबर यदि खराब आया तो डाँट-मार निश्चित था । उसका पिता चाहता कि लड़का हमेशा पढ़ता रहे , जिसका असर यह हुआ कि जब भी दरवाजे पर आहट आती वह लड़का कापी-किताब लेकर बैठ जाता । इसप्रकार वह लड़का धोखेबाज प्रकृति का हो गया ।

उसके घर में टीवी तो था पर वह देख नहीं सकता था । कारण पिता के आराम में बाधा पहुंचती और लड़के के पढ़ाई में । जिसका असर यह हुआ कि वह लड़का बाहरी दुनिया से कटने लगा ।

माँ भी पिता से सामंजस्य न होने के कारण दूसरे ही दुनिया में रहने लगी , जिसका असर यह हुआ कि उस बच्चे को ममता की कमी महसूस होने लगी । घर में तनाव का माहौल रहने के कारण खाना भी कम ही बनता जिससे वह लड़का शारीरिक और मानसिक दोनों ही तरह से कमजोर होने लगा ।

उसके पिता हर पर्व पर नाराज हो जाते , शायद माँ की कोई बात अप्रिय लगजाती होगी । इस वजह से न तो मिठाई आती और न ही नये कपड़े और पूरी छुट्टी तब तक निरश रहती जबतक पिता काम पर नहीं जाते । इसका असर यह हुआ कि उस लड़के का स्वभाव ही उदासी भरा हो गया । वह निराश और हताश रहने लगा ।
शायद ही उसके पिता उसे बीमार होने पर डॉक्टर के पास ले गए हों । वह लड़का अपने से अपना इलाज करवाता । जिससे उस लड़के में अपने माँ-बाप के प्रति विशेष मानवता नहीं है ।

अब वह लड़का बड़ा हो गया है और उसके पिता वृद्ध । वह लड़का अभी भी अपने पिता से वैसे ही डरता है जैसे बचपन में ।त्योहारों पर अब लड़का भी मिठाई और नये कपड़े नहीं खरीदता , उसके पिता अब दिन भर घर में रहते हैं और लड़का दिन भर उनसे दूर । लड़का अभी भी टीवी नहीं देखता इस वजह से महीनों टीवी बंद ही रहती और पिता और माँ बोरियत महसूस करते हैं ।
अब वह लड़का अपनी पत्नी से लड़ता रहता है कारण उस लड़के का स्वभाव आज के समयानुसार नहीं है और उसकी पत्नी उसे पसंद नहीं करती ।

चुँकि वह अपने पिता से डरता रहता था इस वजह से वह अब भी उनका हालचाल नहीं लेता । इसलिए उसको जानकारी ही नहीं हो पाती की उसके पिता का स्वास्थ कैसा है ।

लोग कहते हैं कि लड़का नालायक है । अपने माँ-बाप का ध्यान नहीं रखता । पर हमें लगता है कि उस लड़के की परवरिश ही ऐसी हुई कि वह बचपन से जैसा जीवन जीता आया उसी का अभ्यस्त हो गया है और वही उसका स्वभाव और संस्कार बन गया है ।





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