ये वायरस मेंरा क़ीमती खजाना ले गया।
मौत के साथ अपनो का ठिकाना ले गया।।
गली रास्ते और सड़के अब भी है सुनसान।
वो भीड़ भरी जिंदगी का ज़माना ले गया।।
गरीब को अन्न नही, भूख की तड़प को देखों।
उसके बसर के संसाधनों का सहारा ले गया।।
जन्दगी सबको थी प्यारी कुछ थे बस बेपरवाह।
ऐसे मूर्खो के कारण सब कुछ गवाना पड़ गया।।
कुछ के गुनाह तो नही थे माफ़ी के लायक।
कुछ बेगुनाहो को भी इस दौर में जनाजा ले गया।।
रचना- लव तिवारी
दिनांक- ०९-जून-२०२१
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