शनिवार, 23 मई 2020

क्या कारण है कि किसी स्त्री को व्यासपीठ पर बैठने का शास्त्रीय विधान नहीं है- लव तिवारी

किसी भी स्त्री को व्यासपीठ पर बैठने का शास्त्रीय विधान नहीं है क्योंकि स्त्री का यज्ञोपवीत संस्कार नहीं होता है एवं स्त्री में रजस्वला धर्म होना एक स्वाभाविक स्त्री शरीर की प्रक्रिया है जो सनातन धर्म में अशुद्ध माना गया है व्यासपीठ पर बैठकर श्रीमद्भागवत कहना रामायण का प्रवचन करना या अन्य किसी भी शास्त्र पर प्रवचन करते हुए स्त्री रजस्वला हो जाती है तो क्या वह व्यासपीठ पर बैठने की अधिकार आणि है नहीं है इसलिए हमारे सनातन धर्म में व्यास पीठ पर बैठकर किसी भी स्त्री को प्रवचन करना निषेध किया गया है स्त्री धार्मिक चर्चाओं में भाग ले सकती है कथा पुराण सुन सकती है परंतु वह व्यास पीठ पर बैठकर किसी तरह का अनुष्ठान करने का अधिकारी हमारे सनातन धर्म के अनुसार नहीं कर सकती है जिसका उदाहरण वेद रामायण उपनिषद पुराण इत्यादि सनातन धर्म ग्रंथों में आया है यदि कहीं इसी पुराण में स्त्री को व्यास पीठ पर बैठकर अनुष्ठान कर कथा करने का प्रमाण नहीं मिलता है



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