परिस्थिति कैसी भी क्यों न हो मुस्कराओ ! क्योंकि यह मनुष्य होने की पहली शर्त है। एक पशु कभी भी नहीं मुस्कुरा सकता। रूप कैसा भी क्यों ना हो मुस्कराओ क्योंकि मुस्कान ही आपके चहरे का वास्तविक श्रंगार है।
मुस्कान आपको किसी बहुमूल्य हार के अभाव में भी सुन्दर दिखाएगी। सामने कोई भी क्यों ना हो, मुस्कराओ क्योंकि दुनिया का हर आदमी खिले फूलों और खिले चेहरों को पसंद करता है।
मुस्कराओ ! क्योंकि क्रोध में दिया गया आशीर्वाद भी बुरा लगता है और मुस्कराकर कहे गए बुरे शब्द भी अच्छे लगते हैं।
मुस्कराओ ! क्योंकि परिवार में रिश्ते तभी तक कायम रह पाते हैं जब तक हम एक दूसरे को देख कर मुस्कराते रहते हैं।
मुस्कराओ ! क्योंकि आपकी हँसी किसी की ख़ुशी का कारण बन सकती है। मुस्कराओ ! कहीं आपको देखकर कोई किसी गलत फहमी में न पड़ जायें क्योंकि मुस्कराना जिन्दा होने की पहली शर्त भी है।
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