जब भी तुम आते हो एक नया घाव दे जाते हो।
ऐ मंजर है क्या नफरत का या बदला कोई चुकाते हो।।
इस धरती के मालिक तुम ही नही न रही सलतनत मुगलो की
एक तरफा बात कहके बस हमको ही समझाए जाते हो।।
इस अमन बहार की दुनिया को तुमने कही नही छोड़ा
इस चमन के साथ तुम क्यो, मौत के खेल खेले जाते हो।।
एक बात बताओ तुम क्या अमर रहोगे इस दुनिया में।
फिर क्यो किसी हिन्दू को तुम जहर पिलाकर मारते हो।
एक अदब तुम्हारी थी मुझको एक साथ तुम्हारा था प्यारा
लेकिन अपनी हैवानियत से मुझको जुदा कर जाते हो।।
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