श्री कृष्ण और सुदामा जी बहुत भाव मित्र थे, अक्षय तृतीया के दिन सुदामा जी श्री कृष्ण जी के मेहमान बने कृष्णा जी के साथ भोजन करते बात करते, अचानक एक दिन सुदामा जी ने पूछा कि आप अन्तर्यामी है, परम पूज्य ज्ञानी है, फिर आप ने महाभारत युद्ध क्यों होने दिया, श्री कृष्ण हलके से मुस्कराए और कहा कि हे सखा कौरवों को आत्यंधिक घमंड हो गया था, वो खुद के सामने ईश्वर को नगण्य मानने लगे, साथ में पांडवो को भी अपनी ताकत और ज्ञान का अभिमान हो रहा था, मै बहुत समझता लेकिन सब मद में चूर थे,इस लिए महाभारत युद्ध होना जरूरी था उन सब को अंतर ज्ञान मिला कि वो सब कुछ होते हुए भी कुछ नहीं है।।
अनाचार कोई शक्ति नहीं है विनाश का आरंभ है, अनाचार जब कोई जीव सुरु करता है तब वो खुद अपने पाप ग्रत में जाता है, जीव हिंसा, धन का मद, शक्ति का घमंड, जब जीव में अधिक बढ़ता है, उसे ब्रह्म शक्ति से दण्डित करके ज्ञान देना पड़ता है।।
आज के समय में वायरस ने इंसान को इंसानियत सीखा दी है, तागत और धन का घमंड चूर चूर कर दिया है, देश दुनियां को समझा दिया है, ईश्वर है और उसकी शक्ति को आप पार नहीं पा सकते।।
आप प्यार और घर में रह कर भी ईश्वर को प्राप्त कर सकते है ।।
जय श्री कृष्णा
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