मंगलवार, 24 मार्च 2020

कोविड 19 बिमारी से बचने के लिए योग गुरु युश महाराज के कड़े निर्देश-

किसी भी बीमारी से चाहे वह कोरोना वायरस की कोविड 19 ही क्यों न हो लडऩे का काम हमारी प्रतिरोधक शक्ति करती है और प्रतिरोधक शक्ति जिससे बढती है वे उपाय निम्नलिखित हैं -

1.कम-से कम पांच बार सांस भरकर यानि पूरक करके सांस को अधिकतम देर तक रोकने का प्रयास करें, जो दो मिनट से ज्यादा सांस रोक सकता है वह बीमारी से बचने में समर्थ हो सकता है और तीन मिनट तक सांस रोकने वाला पूर्ण स्वस्थ होता है।

2.प्रणव प्राणायाम, नाडी शोधन प्राणायाम, भ्रामरी उज्जयायी संयुक्त प्राणायाम, कपालभाति प्राणायाम, द्रुत आकाशी प्राणायाम आपको रोगाणुओं से लडने की अद्भुत शक्ति देता है।

3. सप्ताह में एक दिन उपवास करें और प्रभावित व्यक्ति एक ही समय भोजन करें।कम भोजन प्रतिरोधक शक्ति बढाता है।

4. वयस्क अपनी निद्रा एक से तीन घंटे बढा दें और बच्चे दो से तीन घंटे बढा दें वृद्ध एक से दो घंटे बढा दें और इसके लिए शारीरीक परिश्रम,खेल और व्यायाम करें और एक घंटे तक मंत्र जप करें।सेब का सेवन करें।

5.एक सौ आठ बार महामृत्युंजय मंत्र का जप करें।

6.रोगाणु से प्रभावित हरी सब्जियों के सूप ,नारियल पानी, काला अंगूर, किवी ,संतरा, गाजर, टमाटर,बेल,आंवला के रस और पपीता का अनिवार्य सेवन करें।भोजन तीन दिन के लिए बंद कर दें।

7. सोने, चांदी, कान्त लोहा और तांबे का पानी ही पीयें और इसके लिए इन्हें अलग अलग दस मिनट तक तेज आंच में उबालें और बैंगनी रंग की कांच के बोतल में धूप में पन्द्रह दिनों तक रखें।

8.गिलोय, तुलसी, अजवायन, दालचीनी, मेथी, हल्दी,गुलाब, हरसिंगार पत्र, आंवला, पुदीना, अमरूद पत्र,अदरक और लहसुन को बराबर मात्रा में लेकर पीस कर रस निकालें और उसमें थोड़ा सेंधा नमक डालकर एक -एक कप दो से तीन बार पीयें।

9.आधा छोटा चम्मच सोडा बाय कार्ब एक कप पानी में कच्ची हल्दी मिलाकर पीयें।

10.धूप में आधा घंटा रहना(धूप प्रकाश स्नान), कपडे उतारकर शुद्ध प्रातः काल लीन हवा का सेवन पन्द्रह मिनट(वायु स्नान),आरती की लौ की आंच का पूरे शरीर में ताप लेना पंद्रह मिनट (प्रकाश ताप स्नान),शंख ध्वनि और घंटे की ध्वनि तरंगों को पंद्रह मिनट तक ध्यान आसन में बैठकर तन्मयता से सुनना।

11.देवदार, सफेद चंदन, रक्त चंदन, गिलोय, आक,वनतुलसी, आम,पलाश, यूकेलिप्टस पत्र,तेजपत्ता,धतूरा, अपामार्ग, चकवड बीज ,नागरमोथा, इलायची और गुग्गुल के हवन के धुएं से वातावरण को और स्वयं को भी सेनेटाइज करें।

12.राग मालकोश, भैरवी, दुर्गा, कल्याण यमन, भैरव और खमाज दस दस मिनट प्रतिदिन सुनें।

13.ब्रह्मचर्य पालन करें।

14.मादक द्रव्यों से पूर्णतः बचें।

15.भजन कीर्तन करें और निष्काम भाव से सेवा में लगें।

16.आसनों में जानुभालासन ,वृतासन ,चक्रासन, विपरीत भूनासाग्रस्पर्शासन ,पूर्ण धनुरासन, पद्ममकरासन, सर्वांगासन, शीर्षासन, पूर्ण मत्स्येन्द्रासन, सिंहासन और मयूरासन ।

17.उड्डीयान बंध ,बृहस्पति प्राणायाम, केवली प्राणायाम, नौलि प्राणायाम, प्राण अपान संयुक्त प्राणायाम और खेचरी प्राणायाम।



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