लकड़ी जल कोयला भई कोयला जल भई राख
मैं पापन ऐसी जली कोयला भई न राख
चलत बेरिया हो चलत बेरिया हो चलत बेरिया
हमके उड़ाये चदरिया चलत बेरिया
चलत बेरिया..........4
प्राण राम जब निक्सन लागे
निक्सन लागे निकासन लागे
उलट गई दोनु नयन पूतारिया
चलत बेरिया.....
हमके उड़ाये चदरिया....
भीतर से जब बाहर आये-2
बाहर आये हो बाहर आये
छूट गई सब महल अटरिया-2
चलत बेरिया हो....
हमके उड़ाए चदरिया....
चार जने मिल खाट उठाइहे-2
खाट उठाइहे खाट उठाइहे-2
चार जने मिल खाट उठाइहे
रोयत ले चले डगर डगरिया
चलत बेरिया हो चलत बेरिया....
हमके उड़ाए चदरिया.....
कहत कबीर सुनो भाई साधो-2
सुनो भाई साधो सुनो भाई साधो-2
कहत कबीर सुनो भाई साधु
संग चली वही सुखी लकड़िया
चलत बेरिया हो.....
हमके उड़ाये चदरिया.....
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