रविवार, 20 अक्तूबर 2019

ऐसे तो मर जायेंगे हम। तेरे बिन न रह पाएंगे हम- लव तिवारी

ऐसे तो मर जायेंगे हम।
तेरे बिन न रह पाएंगे हम।।

चाहे दुनिया कुछ भी करले।
एक दूजे के हो जायेगे हम।।

आओ मिलकर साथ चले हम।
जीवन को सफल बनायेगे हम।।

कभी तुम्हारा साथ न छूटे।
उम्र भर साथ निभायेंगे हम।।

दुनिया की इस कश्मोकश में।
 प्रेम के गीत गायेंगे हम।।

ऐसे तो मर...

रचना- लव तिवारी
दिनाक- 20-अक्टूबर-2019


ये न सोचे कि सोचने से सब हो जाएगा। कुछ करना होगा तभी मंजिल मिल पायेगा- लव तिवारी

ये न सोचे कि, सोचने से सब हो जाएगा।
कुछ करना होगा, तभी मंजिल मिल पायेगा।।

घर मे बच्चा न रोये तो माँ समझें न उसके भूख को।
अगर वो भी कुछ न करे तो भूखा ही सो जाएगा।।

आजका आदमी दिन पर दिन निक्कमा होता जा रहा।
यही हालात रहे तो ज़माना कैसे चल पायेगा।।

देश की हालात पहले से बत्तर नही है अब।
अगर इंसान इंसानियत को जो समझ पायेगा।।

मुझको भी मिला था एक शख्स अजनबी बनकर।
कौम से हटकर शायद ही वो कभी दोस्त बन पायेगा।।

रचना- लव तिवारी
दिनांक- 20-अक्टूबर-2019
मो नो +91-9458668566






शनिवार, 19 अक्तूबर 2019

दो दिन जा जग में मेला सब चला चली- अनूप जलोटा

चलती चक्की देख के दिया कबीरा रो
दो पाटन के बीच में साबुत बचा ना कोई

दो दिन का जग में मेला सब चला चली का खेला
दो दिन का जग में मेला सब चला चली का खेला

कोई चला गया कोई जावे,कोई गठरी बांध सी भावे-2
कोई खड़ा तैयार अकेला रे कोई खड़ा तैयार अकेला
चला चली का खेला रे खेला रे खेला रे
दो दिन का जग मे मेला सब चला चली का खेला
दो दिन का जग .......

मात-पिता सूत नारी भाई अंत सहायक नाही-2
फिर क्यो भरता पाप का ठेला रे
फिर क्यो भरता पाप का ठेला
चला चली का खेला रे खेला रे खेला रे
दो दिन का जग मे मेला सब
चला चली .........

ये तो है नश्वर संसारा भजन को करले ईश का प्यारा-2
ब्रह्मानंद कहे सुन चेला रे ब्रह्मानंद कहे सुन चेला
चला चली का खेला रे खेला रे खेला रे
दो दिन का जग मे मेला सब चला चली का खेला

दो दिन का जग.....चला चली......4



बुधवार, 16 अक्तूबर 2019

छुपते फिरते हो तुम क्यो न जाने मुझसे। कोई उलझन है तुमको बताओ न मुझसे- लव तिवारी

छुपते फिरते हो तुम क्यो न जाने मुझसे।
कोई उलझन है तुमको बताओ न मुझसे।।

हक़ीक़त क्या है ये पता तो मुझे भी चले।
जो तुम पास थे मेरे,अब क्यो दूर हो मुझसे।।

मैं हर वक़्त जुबान पर नाम जो तेरा लेता हूं।
पता नही बन गए तुम मेरे ख़ुदा कबसे ।।

कई हसीन रुख आज भी फिदा है मुझपर।
मेरी निगाह तुमको ढूढ़ती है हर जगह तबसे।।

कभी आना तो न छोड़ कर जाना कभी मुझको।
मैं आशिक हुँ तुम्हारा और बस दीवानी है तुमसे।।

रचना- लव तिवारी
दिनांक- 16-अक्टूबर-2019















रविवार, 13 अक्तूबर 2019

मैं नाम उसका लूँ कैसे जिस नाम से बदनाम हुँ- लव तिवारी


अब कोई नही गिला तुमसे,अपनी जिंदगी से हैरान हूं।

न हो सका कोई अपना, इस बात से परेशान हुँ।।


मिलता नही हर किसी को, उसके मनमाफ़िक हमसफ़र।

मिला एक शख़्स मुझे बेवफ़ा, इस बात से हैरान हुँ ।।


कोई आकर मुझे पूछे, क्या दवा है तेरे दर्द की।

मैं नाम उसका लूं कैसे, जिस नाम से बदनाम हुँ।।


मैं अपने हाथ की लकीरों में, ढूढता हूं नाम उसका।

अब क्या है उसके दिल मे, इस बात से मैं अंजान हूँ।।


रचना- लव तिवारी

दिनांक- 13- अक्टूबर-2019