रविवार, 14 जुलाई 2019

वृक्ष ही जीवन है - लव तिवारी

शिक्षा और संस्कार दोनों अलग अलग विषय वस्तु है, एक तरफ शिक्षा जहा मानव के शरीर में ज्ञान के प्रकाश को प्रदर्शित करता है वही संस्कार शिक्षा का मानवीय एवम नैतिक प्रयोग को दर्शाता है, आज के ज़माने में किसे ज्ञान नहीं कि पेड़ के आभाव से पर्यावरण पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है, और प्रकृति संसन्धान ही उच्च कोटि के मानवीय संसाधन है, शिक्षा और ज्ञान का एक विशाल समूह भारत की राजधानी दिल्ली में रहता है लेकिन संस्कार कही कही देखने को मिलता है ,हाँ यहाँ हर एक व्यक्ति 10 रूपये को 1 लाख करने के फ़िराक में है,

      एक छोटी सी घटना अपने जीवन में घटित हुई है एक बार हम सब अपने दादा जी के साथ बैठे हुए थे ,दादा जी का मतलब बाबा से है बाबा ने बुआ के लडके से फिरकी लेते हुए कहा मेरे जैसा कोई काम करने वाला है तुम्हारे गांव में, मैं दिन भर घर द्वार साफ सुथरा करता हूँ ,जिस तरह बाबा फिरकी ले रहे थे बुआ का लड़का भी फिरकी के अंदाज में बाबा को वास्तविकता से रूबरू कराया बोला की नाना जी आप के दरवाजे पर कितने पेड़ है और घर द्वार को झाड़ू से चमकाना कौन सी बड़ी बात होती है आप हमारे यहाँ चलिये मेरे बाबा के कार्यो का मूल्यांकन कीजिये आप 10% भी नहीं है, आप सभी मित्रों को बता दे जो सुख हमें अपने बुआ के यहाँ पेड़ो को देख के मिलता है वो अपने गांव में नहीं 50 से 100 मीटर की दुरी में सारे पेड़ो का समूह कटहल, सिरफल, बड़हल जामुन, आम के पेड़ो की कई विशेषताये , कार्य वास्तविक में वो होता है जो सामाजिक और नैतिक सोच से किया गया हो, हम अपने गुरु जी Praveen Tree जी में समाज के प्रति नैतिक ज़िमेदारी का अदभुत कार्य देखा है वाकई सराहनीय है, सराहनीय शब्द का मतलब इस पोस्ट में कई तस्वीरों के माध्यम से देखी गयी है कि  कैसे गुरु जी ने धन के आभाव में पौधों के सुरक्षा संबंधी कार्यो को बख़ूबी निभाया हुआ है और समाज के लोगों को एक सन्देश भी भेजा है जन समुदाय के कार्यो को करने के लिए धन से ज्यादा निष्ठा और लगन की जरुरत होती है
लिंक- https://m.facebook.com/SabkaaSahyog/

धन्यबाद  लव तिवारी










कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें