दर्द अब भी न सभले तो जख़्म होगा
तुम्ही हो दवा अब न कोई मरहम होगा
तुम्ही हो दवा अब न कोई मरहम होगा
ख्वाईशो की चाह भी रुकती है तुम्ही पर
कि खुदा जो भी करेगा मेरे हक में होगा
कि खुदा जो भी करेगा मेरे हक में होगा
बदलते मौसम की तरह तुम भी बदल गये
मैं बस देखता रह गया कोई तो हमदम होगा
मैं बस देखता रह गया कोई तो हमदम होगा
ख्याल आता तुम्हरा अक्सर मुझे अकेले में
औऱ कुछ लिखू तुझपर तो एक ग़ज़ल होगा
औऱ कुछ लिखू तुझपर तो एक ग़ज़ल होगा
रात में अब भी संवारता है तेरा जुनून मुझे
की जिंदगी में कुछ न कुछ तो मुक्कमल होगा
की जिंदगी में कुछ न कुछ तो मुक्कमल होगा
लव तिवारी- 29-06-2017
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें