रविवार, 21 मई 2017

ये आँखे ये जुल्फे ये तेरा मुस्काना- लव तिवारी

ये आँखे , ये जुल्फे ये तेरा मुस्काना
कभी हमको मरेगा ये तेरा शर्मना

ये काजल ये बिंदिया और हाथो की चूड़ी
मुझे तेरे पास लाये ये कैसी मजबूरी

रोज  शाम होते मेरी यादों में आना
मुझे मदहोश रखता तेरी निगाहों का प्याला

कभी चुपके से  मेरे सपनों में आकर
तुम्हे याद करू मैं अपने दिल मे समाकर

कभी उठ के बैठु कभी हँस के रोऊ
ये दुनिंया कहे मुझको पागल दिवाना

लव तिवारी
रचना- 22-05-2017


गुरुवार, 18 मई 2017

तेरी उल्फत में भी एक अदा है - डॉ एम डी सिंह

तेरी  उल्फत  में  भी  एक अदा है
तेरी  नफरत  में भी  एक  अदा है
खैर  वाजिब   तो   वाजिब  है  ही
बेजा  हरकत में  भी एक  अदा है
जान-बूझ के करे तो क्या  कहना
तेरी  गफ़लत में भी  एक  अदा है
अदा  इनकार  में भी  तेरे कम ना
तेरी  शिरकत  में भी  एक अदा है
कभी  जो   नाफरमा  हुए  तो भी
तेरी  सहमत  में  भी एक अदा है
उल्फत - प्यार
वाजिब - सही
बेजा - गलत
गफलत - अनजान
शिरकत - भाग लेना
नाफरमा - विरोधी
डॉ एम डी सिंह


शुक्रवार, 5 मई 2017

कोई अच्छी सी सजा दो मुझको चलो ऐसा करो भुला दो मुझको- लव तिवारी

कोई अच्छी सी सजा दो मुझको
चलो ऐसा करो भुला दो मुझको

अपने दिल मे बसी तस्वीर मेरी
ऐसा करो फिर जला दो उसको

मेरी वफा पे अगर शक हे तुमको
तो फिर नजर से गिरा दो मुझको

मुद्दत हो गई हैं तेरे प्यार मे जागते हुए
अपनी सांसो कि हरारात से सुला दो मुझको

कुछ तो तरस करो अपने दिवाने पर
जाम न सही जहर ही पिला दो मुझको ,

तुमसे बिछडू तो मौत आ जाये मुझको 
दिल कि गहराइयो से ये दुआ दो मुझको