शुक्रवार, 27 जनवरी 2017

कटेगी ये अब जिंदगी रोते रोते- अनूप जलोटा

कटेगी ये अब जिंदगी रोते रोते
ये कह कर गयी ख़ुशी रोते रोते

गमे दस्ता अपनी अश्को लिखकर
सरे बज़्म हमने पढ़ी रोते रोते
कटेगी.....

ये सोचा था नहीं था कभी जिंदगी में-2
कि रूठेगी हमसे हँसी रोते रोते
कटेगी अब जिंदगी......

परेशान हुए चाँद तारे फलक पर
यु रुखसत हुई चाँदनी रोते रोते
कटेगी.......

ये मालूम होता है किश्मत हमारी-2
कि जैसे खुदा लिखी रोते रोते
कटेगी...............

उम्र भर तो करी नीद ने बेवफ़ाई-2
जो ओढ़ा कफ़न आ गयी रोते रोते
कटेगी ये अब जिंदगी......

ये कह कर गयी........


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