गुप्ता जी की बात निराली और कुछ खिस्से ऐसे है
सब लोग के बीच में सर जी बड़े अनोखे रहते थे
कुछ तथ्यों पर महाशय जी अपनी राय भी रखते थे
और हो न हो क्यों ऐसा चंदौसी में जो रहते थे
हमें पढ़ाते खुद भी पढते और गुथ्थी भी सुलझाते थे
बात बात हम को भी कुछ राज की बात बताते थे
एक बार की बात कहु तो साहब ने हमें डराया था
और दोस्तों के बिच में हमें जोर से हड़काया था
अपनी दिल को चैन न था वैभव जी से मिलने को
और कुछ रंजिश की बातों पर सुलह सपाट करने को
न मानने पर श्री मान को खूब मनाया करते थे
कभी अकेले कभी प्रशांत और जितेंद्र के संग जाया करते थे
अपनी दोस्ती के खिस्से हमेशा याद किये जाते
और दोस्तों से फ़ोन पर आप के हालात पता कर लिए जाते
प्रिय दोस्त बैभव कान्त गुप्ता जी की स्मृति में मेरी द्वारा लिखी कुछ पंक्ति
धन्यबाद - #लव_तिवारी
#फोटो ग्राफी- Praveen Richhariya
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