वो जो जिंदगी तेरे बगैर यूं खूबसूरत न हुईं
तेरे न मिलने के ख्याल ने मुझे जिंदगी भर रुला दिया
तेरी बेरुखी के हस्र का मैं एकलौता जबाब हूँ
जो तू न मिली तो रोज मैं एक बिन पढ़ा किताब हूँ
कोई मुझसे पूछता है हर वक़्त तुझे क्या हुआ और क्यों हुआ
मैं किस किसको जबाब दू तेरी बेरुखी का जो सिला मिला
वो जो ख्वाब था कि जिंदगी हसीं और खुसनशीब भी
तेरे वादों के भर्म ने मुझे इस कदर तड़पा दिया
तेरे चार दिन की चाँदनी का में ही एक गवाह हूँ
मेरे जिंदगी के खौफ का कोई सबूत नहीं तो क्या हुआ
कभी सोचता हूं तुम्हे तो ख्याल जशन है जिंदगी
तेरे बाद के ख्याल का न मुकम्मल हुआ तो क्या हुआ
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