शुक्रवार, 10 जून 2016

राजनितिक पार्टियो के आधार पर बिखंडित समाज

#राजनीती  एवं राजनीतिक #पार्टियो का जो भी मतलब हो , लेकिन मेरे शब्दों में ये #समाज में #बिखण्डन करने कुछ #असामाजिक लोगों का समूह है , इस बात की पुष्टि जैसे हम और आप सभी #फेसबुक पर अच्छे दोस्तों की तरह व्यवहार करते है एक दूसरे की पोस्ट लाइक करना एवं कमेंट करना, लेकिन राजनितिक मत के आधार पर हर एक व्यक्ति का मत अलग अलग है , #ज्ञान, #नैतिक #तर्क और #सामजिक आधार पर अगर मत होतो स्वाभाविक है उसे स्वीकारा जा सकता है , लेकिन मेरे द्वारा यह देखा गया है  भाई आप यादव है तो आप समाजवादी पार्टी के कट्टर समर्थक है #ब्राम्हण , #छत्रिय है तो बीजेपी , वैश्य शूद्र है तो #बसपा, #आम आदमी पार्टी भी है एक केजरीवाल साहब की वो तो अपने को आम आदमी की सरकार मानती है लेकिन 4 गुने वेतन बृद्धि की बात अपने विधायको के पक्ष में करती है,  सविधान में नयी पार्टी के गठन में किसी व्यक्ति के शैक्षिण योग्यता का भी जिक्र नहीं है और चपरासी की भर्ती के लिए 10 वी पास होना जरुरी है सभी पार्टियो का यह उद्देश्य हर एक वर्ग में पैठ बनाया जाय,  मुझे भी मेरे कई मित्रो ने हमें मोदी भक्त की उपमा दी हुयी है, चलिए हम भी  भक्त शब्द से कोई अप्पति नहीं है , हा कभी कभी इस बात का जरूर डर लगता है की भक्त के जगह कोई और गलत शब्दों का प्रयोग न हो,
धन्यबाद
लव तिवारी

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