मंगलवार, 3 मार्च 2015

Ek Ghazal Tere Liye - (एक ग़ज़ल तेरे लिए )


एक ग़ज़ल तेरे लिए ज़रूर लिखूंगी
बे-हिसाब उस में तेरा कसूर लिखूंगी..

टूट गए बचपन के तेरे सारे खिलौने
अब दिलों से खेलना तेरा दस्तूर लिखूंगी..

तेरे बगैर कांटे तनहा हर रात लिखूंगी
भीगी आँखे राह देखते तेरे इंतज़ार लिखूंगी..

तू आया नही थाम ने हाथ वो शाम लिखूंगी
मेरी बर्बादी का हर वो किस्सा तेरे नाम लिखूंगी..

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