मंगलवार, 3 मार्च 2015

Band Kar Du Darwaje Laga Du Ye- बंद कर दूं ये दरवाजे, लगा दूं

बंद कर दूं ये दरवाजे, लगा दूं ये खिड़कियां
फुरसत है, उन्हें यादकर ले लूं मैं हिचकियां..

हमने बनाए जाने कितने सपनों के महल
हिज्र के तूफान ने उजाड़ दी है बस्तियां..

कागज पे लिखी बातें भी दिल तोड़ देती हैं
उनकी खतें पढ़के निकलती है सिसकियां..

तेरी यादों के गुलशन में बैठी मैं कई पहर
आंखों से उड़ती रही अश्कों की तितलियां..


सुकून मिल गया मुझको बदनाम होकर आपके हर इक इल्ज़ाम पे यूँ बेजुबान होकर
लोग पढ़ ही लेंगें आपकी आँखों में मेरी मोहब्बत चाहे कर दो इनकार अंजान होक

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