एक घडी और ठहर कि जान बाक़ी है,
तेरे लब पे मेरे होने का निशां बाक़ी है...
शब के चेहरे पे चढा रंग सवेरे का तो क्या,
ढलते ख़्वाबों में अभी अपना जहां बाक़ी है
तेरे लब पे मेरे होने का निशां बाक़ी है...
शब के चेहरे पे चढा रंग सवेरे का तो क्या,
ढलते ख़्वाबों में अभी अपना जहां बाक़ी है
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