रविवार, 12 जनवरी 2014

तुम किसी गैर को चाहो तो मज़ा आ जाए और वो तुमसे खफ्फा होतो मज़ा आ जाए

तुम किसी गैर को चाहो तो मज़ा आ जाए
और वो तुमसे खफ्फा होतो मज़ा आ जाए
और वो तुमसे खफ्फा होतो मज़ा आ जाए


तू कोई नाम हथेली पे लिखे मेहंदी से
और वो नाम मेरा होतो मज़ा आ जाए
तुम किसी गैर को चाहो तो मज़ा आ जाए

मेरे शिकवे तुझे अच्छे नही लगते लेकिन
तुझ को भी मुझसे गिल्ला होतो मज़ा आ जाए
तुम किसी गैर को चाहो तो मज़ा आ जाए

तुझको एहसास होता मेरी बेचैनी का
कोई तुझसे भी जुड़ा होतो मज़ा आ जाए
तुम किसी गैर को चाहो तो मज़ा आ जाए

और वो तुमसे खफ्फा होतो मज़ा आ जाए




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